“प्राण प्रतिष्ठा” (Prana Pratishtha) एक संस्कृत शब्द है जो साधना या उपासना के समय में उपयोग होता है और इसका अर्थ है “मूर्ति स्थापना के समय प्रतिमा रूप को जीवित करने की विधि“। इस शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा और देवता की प्रतिष्ठापना के संदर्भ में होता है।
प्राण प्रतिष्ठा में, एक मूर्ति या देवता को जीवन देने की क्रिया की जाती है, जिससे वह मूर्ति या देवता दिव्य शक्तियों से युक्त मानी जाती है और भक्तों के लिए पूजनीय हो जाती है। इस प्रक्रिया में, प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रीय रूप से कुशल पुजारियों द्वारा की जाती है जो विशेष मंत्रों और तंत्रों का आदान-प्रदान करते हैं ताकि मूर्ति या देवता में जीवन उत्पन्न हो सके।
यह प्रक्रिया विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों में भी होती है, और इसे विशेष रूप से मंदिरों और पूजा स्थलों में किया जाता है। इसका उद्देश्य मूर्ति या देवता को दिव्य शक्तियों से युक्त करके उसे पूजनीय बनाना है ताकि भक्त भगवान के साथ संबंध बना सके और उससे संबंधित आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सके।